Thursday, October 14, 2010

चीनी अखबार ने भारतीय सेना का मजाक उड़ाया


नई दिल्ली ( एनबीटी ) : चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से सम्बद्ध अखबार ' ग्लोबल टाइम्स ' ने भारतीय सेना पर अप्रिय टिप्पणियां की हैं। एक तरफ तो भारतीय सेना को ' एशिया में सर्वाधिक सक्रिय ' बताकर इशारे से कहा गया है कि भारत के इरादे आक्रामक हैं और दूसरी तरफ इसे बुजदिल बताया गया है क्योंकि भारतीय सैनिकों को ' युद्धबंदी बनने में शर्म नहीं आती। ' हालांकि ' ग्लोबल टाइम्स ' ने 1962 में भारत पर चीन के हमले का सीधा जिक्र नहीं किया है , मगर इशारा बहुत साफ है। गौरतलब है , 1962 में चीन ने भारतीय सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया था , जिनमें ब्रिगेडियर रैंक तक के अधिकारी थे।

आम तौर से बुद्धिजीवियों और विद्वानों द्वारा पढ़े जाने वाले अखबार ' ग्लोबल टाइम्स ' ने लिखा कि बेशक भारतीय सेना आज एशिया में सर्वाधिक सक्रिय सेना है , जिसने ताजिकिस्तान में सैनिकों की कथित तैनाती कर रखी है , अफ्रीका में निगरानी स्टेशन कायम किए हैं और बंगाल की खाड़ी में अभ्यास के लिए विमान वाहक भेज रही है। भारतीय सेना लगभग रोज कोई न कोई सैनिक खबर बनाती है , लेकिन बाहरी दुनिया इस बारे में बहुत कम जानती है।

' ग्लोबल टाइम्स ' ने आगे लिखा है कि भारतीय सेना के पास बहुत आधुनिक हथियार हैं , लेकिन उसके सैनिक लड़ने से पहले ईश्वर की प्रार्थना करते हैं। भारतीय सैनिकों की संख्या करीब 13 लाख है , लेकिन शहरों में कोई सैनिक वर्दी में दिखाई नहीं पड़ता। भारतीय सेना का मिलाजुला स्वरूप है लेकिन विभिन्न धर्मों के सैनिक जब मिलते हैं तो एक दूसरे को घूर कर देखते हैं। अगर भारतीय समाज दुनिया में सबसे ज्यादा सुसंस्कृत है तो बेशक भारतीय सेना भी सबसे ज्यादा सुसंस्कृत है।

' ग्लोबल टाइम्स ' ने किन्हीं तीन जवानों से अपनी बातचीत का जिक्र भी किया। ' एक सैनिक ने मुझे बताया कि भर्ती के समय उससे दो कोबरा सांपों को पकड़ने के लिए कहा गया। उसने कारण पूछा तो बताया गया कि बहादुरी की परीक्षा होनी है , जानते हुए भी यह बहुत खतरनाक है , उसने कोबरा पकड़ा। एक अन्य सैनिक ने बताया कि सेना में शामिल होने के लिए उसके पिता को भर्ती अधिकारी के घर पर तीन महीने बेगार करनी पड़ी। तीसरे ने बताया कि अपनी छोटी बहन की इज्जत की कीमत पर वह सेना में भर्ती हो पाया। '

हालांकि खुद चीन की सेना में बड़ी संख्या में बूढ़े - बूढ़े जनरल और मार्शल हैं , फिर भी ' ग्लोबल टाइम्स ' ने लिखा कि भारतीय सेना में बड़ी संख्या बूढ़ों की है , जिनकी दाढ़ी बढ़ी रहती है। सेना में लंबे समय तक रहने के बाद वे महसूस करते हैं कि वे पैसे और अपने परिवार की आजीविका के लिए नौकरी कर रहे हैं। इसलिए वे लस्टम - पस्टम रहते हैं।

किसी भी फौज के लिए जो सबसे ज्यादा अपमानजनक शब्द हो सकते हैं , उनका प्रयोग करते हुए ' ग्लोबल टाइम्स ' ने लिखा कि भारतीय सेना में प्रचलित व्यवहार यह है कि अपने अफसर के आगे तो बहादुरी दिखाओ लेकिन वास्तव में ऐसा करो मत। अगर युद्धबंदी बना लिए जाओ तो उसमें कोई शर्म की बात नहीं। जब तक आपकी जान बचती है और आप सही सलामत घर पहुंच जाते हैं और पैसा मिलता रहता है , तब तक सब ठीक है। जब तक आप जीवित हैं , आप अपने परिवार को चलाने और अच्छी जिंदगी के लिए पैसा बनाते रह सकते हैं। अंत में ' ग्लोबल टाइम्स ' ने टिप्पणी की कि आप भारतीय सेना को जितनी गहराई से देखते हैं उतना ही महसूस करेंगे कि भारतीय सेना भारतीय समाज की तरह जटिल और समझ से परे है।


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